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सिख धर्म के पवित्र 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी' से चयन, अंग 34-36, 2 का भाग 1

विवरण
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"सहज शांति के साथ, अपने खेत को विकसित करें, और सच्चे नाम का बीज लगाएं। अंकुर शानदार ढंग से फूट चुके हैं, और सहज सहजता से, मन संतुष्ट है।"